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An ‘anecdotal but backed with data' book that keeps you engaged. The stories have a very regional flavor to it. Definitely recommended.
मैं चौंक गया था “रुकतापुर” नाम देख कर लैंड्मार्क्स में ऐसे टहलते हुए। मुझे याद है जब पहली बार यह शब्द सुना था मेरे गाँव से २०-२५ किमी दूर एक आउटर सिग्नल पर जब ज़ंजीर खींचकर ट्रेन रोकी थी किसी ने। बस फिर मैंने ये किताब यूँ ही उठा लिया।
क्या बेहतरीन किताब है! ना सिर्फ़ आँकड़ों और तथ्यों के साथ, बल्कि उसके बावजूद भी बांधे रखती है पढ़ने वाले को। बिहारी इससे बहुत जल्दी जुड़ पाएँगे, इसके नैरटिव से, लेकिन ऐसी किताब देश के सारे हिस्सों में पढ़ी जानी चाहिए। “रुकतापुर” को मैं “The Silent Coup” और “Everybody Loves a Good Draught” की श्रेणी में रखूँगा।